अखण्ड,
एकताबद्ध, सम्पन्न और सुदृढ़ हिन्दुस्तान ही हर प्रकार से, एवं भली-भाँति अपनी स्वयं
की रक्षा कर सकता है I अपने राष्ट्रवाद की सच्ची मूलभावना –‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा
‘जीयो और जीने दो’ के अनुरूप संसारभर की सुरक्षा, सम्पन्नता और सुदृढता के लिए भी,
उत्तरदायित्व के साथ, महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकता है I भारतीय राष्ट्रवाद,
वास्तव में, अंतर्राष्ट्रीयतावाद को ही समर्पित है I
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