“यदि शिक्षित समझा जाने वाला व्यक्ति वृहद् मानव कल्याण के विपरीत निजी
अथवा समूह-हित सिद्धि के लिए प्रयासरत
हो –मावनता के विरुद्ध कार्य करे, तो इसमें दोष शिक्षा
का नहीं है I दोष, वास्तव में, शिक्षक का है, जिसने शिक्षा के वास्तविक अभिप्राय –शिक्षा
की मूल भावना के अनरूप उसे आचरण करना नहीं सिखाया है I” – डॉ0 रवीन्द्र कुमार
Wednesday, March 29, 2017
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